Monday, October 13, 2025
26 C
New Delhi

आठ घंटे सोना जरूरी नहीं, नींद अच्छी आनी चाहिए, रिसर्च से हुआ खुलासा

न्यूयॉर्क। दिन भर ऊर्जावान बने रहने के लिए यह जरूरी है कि रात की नींद अच्छी हो। यहीं कारण है कि कई लोग आठ घंटे सोने के नियम का पालन करते हैं, लेकिन सिर्फ आठ घंटे सोना ही महत्वपूर्ण नहीं है। यह भी जरूरी है कि नींद अच्छी तरह आए। एक रिसर्च में सामने आया है कि आठ घंटे की नींद जरूरी नहीं है। यह जरूरी है कि नींद अच्छी हो।

शोधकर्ताओं के अनुसार कौन व्यक्ति कितने समय सोता है और उसे कैसी नींद आती है यह उसके जेनेटिक्स पर निर्भर करता है। सोने के मामले में क्वालिटी अधिक महत्वपूर्ण है। कुछ परिवार ऐसे होते हैं, जिसके सदस्य रात में चार से छह घंटे सोते हैं और दिन भर अच्छी तरह काम करते हैं। उन्हें और अधिक सोने की जरूरत महसूस नहीं होती।

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के एक रिसर्च के अनुसार चार से छह घंटे सोने वाले लोग मनोवैज्ञानिक लचीलापन और न्यूरोडीजेनेरेटिव स्थितियों के लिए प्रतिरोध दिखाते हैं। इससे न्यूरोलॉजिकल रोगों के इलाज का रास्ता निकल सकता है। इसका मतलब है कि मस्तिष्क अपने नींद के कार्यों को कम समय में पूरा करता है। UCSF वेइल तंत्रिका विज्ञान संस्थान के यिंग-हुई फू ने कहा कि दूसरे शब्दों में सोने में कम समय खर्च करना नींद की कमी के बराबर नहीं हो सकता।

अच्छी नींद के लिए जिम्मेदार जीनोम की हुई पहचान


शोधकर्ताओं ने अब तक पांच जीनोम की पहचान की है जो अच्छी नींद लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। न्यूरोलॉजिस्ट लुइस पटासेक ने कहा कि यह एक हठधर्मिता है कि हर किसी को आठ घंटे की नींद की जरूरत होती है। हमारा काम पुष्टि करता है कि लोगों की नींद की मात्रा आनुवंशिकी के आधार पर भिन्न होती है। 

जर्नल आईसाइंस में प्रकाशित अध्ययन में टीम ने अल्जाइमर रोग के माउस मॉडल को देखने के लिए चुना। उन्होंने ऐसे चूहों को पैदा किया, जिसमें कम नींद वाले जीन और अल्जाइमर के लिए पूर्वनिर्धारित जीन थे। उन्होंने पाया कि उनके दिमाग में हॉलमार्क एग्रीगेट्स बहुत कम मात्रा में विकसित हुआ। हॉलमार्क एग्रीगेट्स पागलपन से जुड़ा है। अपने निष्कर्षों की पुष्टि करने के लिए उन्होंने एक अलग शॉर्ट स्लीप जीन और एक अन्य डिमेंशिया जीन के साथ चूहों का उपयोग करके प्रयोग को दोहराया और इसी तरह के परिणाम दिखे।

नींद की समस्या आम

टीम का मानना ​​है कि मस्तिष्क की अन्य स्थितियों की इसी तरह की जांच से पता चलेगा कि कुशल नींद जीन सुरक्षा प्रदान करते हैं। इससे लोगों की नींद में सुधार से कई तरह की दीमागी बीमारियों के मामले में लाभ मिल सकता है। पटासेक ने कहा कि मस्तिष्क के सभी रोगों में नींद की समस्या आम है। यह समझ में आता है क्योंकि नींद एक जटिल गतिविधि है। आपके सोने और जगाने के लिए आपके दिमाग के कई हिस्सों को एक साथ काम करना पड़ता है। जब मस्तिष्क के ये हिस्से क्षतिग्रस्त हो जाते हैं तो गुणवत्ता वाली नींद सोना मुश्किल हो जाता है।

Also Read :

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. NewsPost.in पर विस्तार से पढ़ें देश की अन्य ताजा-तरीन खबरें

Hot this week

Bhadrapada Month 2025: भाद्रपद मास प्रारंभ, समझें इसका धार्मिक महत्व, भूलकर भी नहीं करें ये काम

हिंदू पंचांग के छठे महीने, भाद्रपद मास की शुरुआत...

Topics

खाटूश्यामजी बाबा की आरती में समय परिवर्तन, अब सुबह 7:15 से होगी श्रृंगार आरती

खाटूश्यामजी: खाटूश्यामजी बाबा मंदिर की प्रबंधन समिति ने एक...

Related Articles

Popular Categories