नई दिल्ली। ईडी की हिरासत के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जब भी न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा, तब उन्हें तिहाड़ केंद्रीय जेल में कहां और कैसे रखा जाएगा, इसकी तैयारी जेल प्रशासन ने शुरू कर दी है। तिहाड़ जेल में दिल्ली के मुख्यमंत्री का नया पता जेल संख्या पांच हो सकता है। जेल महानिदेशक के निर्देश के बाद मुख्यमंत्री को यहां रखने के लिए व्यवस्था की जा रही है।
तिहाड़ सूत्रों की मानें तो शनिवार को तिहाड़ जेल महानिदेशक संजय बेनीवाल ने जेल संख्या तीन, पांच और आठ का मुआयना किया। इन तीनों जेल में शराब नीति घोटाले का कोई भी आरोपी बंद नहीं है। मुआयना करने के बाद महानिदेशक ने जेल के अंदर कार्यरत लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिया है कि जेल नंबर पांच के वार्ड नंबर सात स्थित चक्की संख्या एक की मरम्मत की जाए।
सूत्रों की मानें ताे चक्की संख्या एक के दो कमरे के सेल को केजरीवाल के लिए तैयार किया जा रहा है। यहां पहले से लगे इंडियन टॉयलेट की जगह वेस्टर्न टॉयलेट लगाने और टाइल्स को बदलने के निर्देश दिए गए हैं। रंगाई-पुताई के भी निर्देश दिए गए हैं। उम्मीद है कि अगले चार-पांच दिन में इस सेल को तैयार कर लिया जाएगा।
बता दें कि शराब नीति घोटाले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया जेल संख्या एक, राज्यसभा सांसद संजय सिंह जेल संख्या दो और इसी मामले में जेल में बंद विजय नायर जेल संख्या चार में बंद हैं। जबकि दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जेल संख्या सात में बंद हैं।
कमरे की लंबाई-चौड़ाई नौ फीट है
मुख्यमंत्री केजरीवाल जिस कमरे में रहेंगे, उसकी लंबाई-चौड़ाई नौ फीट है। जबकि पिछले वाले कमरे की लंबाई-चौड़ाई नौ फीट बाई 12 फीट है। इसी कमरे में पीछे के तीन फीट के हिस्से में टॉयलेट और नहाने के लिए जगह बनी हाेगी। मुख्यमंत्री काे सेाने के लिए जमीन से करीब एक फीट ऊंची, तीन फीट चाैड़ा और छह फीट लंबा सिमेंटेड बेड बना होगा। मुख्यमंत्री के लिए कूलर और टेलीविजन भी लगाया जाएगा और जेल से तय कुछ चैनलों का प्रसारण ही टेलीविजन पर होगा। सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री की सुरक्षा को देखते हुए उनके खाने-पीने के लिए अन्य कैदियों से अलग व्यवस्था की जाएगी।
जेल से सरकार चलाना मुश्किल हाेगा
तिहाड़ जेल के पूर्व कानून अधिकारी सुनील गुप्ता का कहना है कि जेल से मुख्यमंत्री का काम करना व्यवहारिक तौर पर संभव नहीं होगा, क्योंकि जेल-प्रशासन का काम कैदियों और जेल की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। ऐसे में यदि मुख्यमंत्री के पास बाहर से कोई अंदर आता-जाता है तो जेल की सुरक्षा के साथ समझौता होगा। यहां अधिकारियों के साथ बैठक करना भी किठन हाेगा। हालांकि जेल मैनुअल के अनुसार, यदि उपराज्यपाल चाहें तो किसी भी बिल्डिंग को जेल घोषित कर सकते हैं। उस जगह से न्यायिक हिरासत में होने के बाद भी मुख्यमंत्री अपना काम-काज कर सकते हैं, हालांकि यह आसान नहीं होगा।
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