मुंबई। अगर ग्रुप के किसी सदस्य ने आपत्तिजनक पोस्ट डाली है तो उसके लिए एडमिन को आपराधिक तौर पर उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता। बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) की नागपुर बेंच ने यह व्यवस्था दी है। इसके साथ ही अदालत ने 33 वर्षीय एक युवक के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप से जुड़ा मामला भी खारिज कर दिया।
हाईकोर्ट के जस्टिस जेडए हक और एबी बोरकर की बेंच ने वॉट्स एप ग्रुप से जुड़े मामले में पिछले महीने यह आदेश दिया था। इस आदेश की प्रति अब सार्वजनिक की गई है। जजों ने अपने आदेश में कहा है कि ‘वॉट्स एप ग्रुप के एडमिन के पास सिर्फ सदस्यों को हटाने या जोड़ने का ही अधिकार होता है। वह किसी सामग्री का नियमन नहीं कर सकता और न ही उसे रोक या काट-छांट सकता है। इस तरह उसके अधिकार सीमित ही होते हैं।
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एक बार ग्रुप बनने के बाद सामग्री पोस्ट करने आदि के मामले में उसके और अन्य सदस्यों के अधिकार लगभग एक से हो जाते हैं। यही कारण है कि ग्रुप के अन्य सदस्यों द्वारा पोस्ट की गई आपत्तिजनक सामग्री के लिए एडमिन को अपराधी नहीं माना जा सकता।
यह है पूरा मामला
अदालत में किशोर तरोने नाम के शख्स ने याचिका दायर की थी। वह एक वॉट्स एप ग्रुप के एडमिन हैं। उनके खिलाफ 2016 में गोंदिया जिले में आपराधिक मामला दर्ज किया गया था। याचिका में उन्होंने इस मामले को खारिज करने की अदालत से मांग की थी।
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वहीं, अभियोजन पक्ष का आरोप था कि अपने ग्रुप में आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट करने वाले सदस्यों पर तरोने कार्रवाई करने में असफल रहे। उन्होंने न उन्हें ग्रुप से हटाया और न ही गलती के लिए माफी मांगने को कहा। अभियोजन पक्ष ने तरोने के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी कानून और भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं में आरोप दर्ज किए थे।