Health Tips: शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हमें नियमित रूप से पोषण की आवश्यकता होती है और इसकी पूर्ति भोजन से होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि यदि आप सही धातु से बने बर्तनों में भोजन नहीं कर रहे है तो यह आपके स्वास्थ्य को नुकसान भी पहुंचा सकता है। व्यक्ति को भूलकर एल्यूमिनियम के बर्तनों में भोजन पकाना व खाना नहीं चाहिए। ऐसा करने वाला व्यक्ति ताउम्र किसी न किसी बीमारी से परेशान होता रहता है।
इसके अलावा यदि आप कांसे के बर्तनों में भोजन कर रहे हैं तो याद रखें कि उसमें खट्टी चीजें नहीं परोसी जानी चाहिए। आज हम आपको बताने जा रहे है कि किस-किस धातु के बर्तनों में भोजन करने से व्यक्ति को क्या-क्या फायदा और क्या नुकसान होते है।
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सोना (Gold)
सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से ठोस, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आंखों की रोशनी को बढ़ाने में भी सहायक है।
चांदी (Silver)
चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शीतलता प्रदान करती है। इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आंखे स्वस्थ रहती है और रोशनी बढ़ती है। इसके अलावा चांदी पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित करता है।
कांसा (bronze)
काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त शुद्ध होता है, पित शांत रहता है और यह भूख बढ़ाने वाला है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए। खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल 3 प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
तांबा (Copper)
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है। तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए। इससे शरीर को नुकसान होता है।
पीतल (Brass)
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।
लोहा (Iron)
लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढती है, लोह्तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है। लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कमजोर होती है। लोहे बर्तन में दूध पीना अच्छा होता है।
स्टील (Steel)
स्टील के बर्तन नुकसानदायक नहीं होते क्योंकि ये गर्म से क्रिया नहीं करते है और ना ही अम्लीय होते है। इसलिए नुकसान नहीं होता है। इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुंचता तो नुकसान भी नहीं होता।
एल्युमिनियम (Aluminium)
एल्युमिनियम बोक्साईट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुकसान होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है। मानसिक बीमारियां होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टीबी, अस्थमा, दमा, वात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एल्युमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।
मिट्टी (Clay)
मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे। इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए।
भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त है मिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है। Health Tips
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