नई दिल्ली: EPFO Higher Pension Option: कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation) यानी ईपीएफओ (EFFO) ने अपने एलिजिबल सब्सक्राइबर्स को ज्यादा पेंशन ऑप्शन (Higher Pension Option) चुनने का मौका दिया है। इसके तहत ईपीएफओ ने ज्यादा पेंशन पाने के लिए आवेदन की डेडलाइन (EPFO Higher Pension Deadline) बढ़ाकर 3 मई, 2023 तक कर दी है। हालांकि, इसको लेकर कर्मचारियों के मन में कई तरह के सवाल हैं। हर कर्मचारी यह जानना चाहता है कि आखिर ज्यादा पेंशन का विकल्प सही है या नहीं और इसमें निवेश करना चाहिए या नहीं। इसको लेकर यह भी सवाल है कि ये स्कीम कर्मचारियों के लिए कितना फायदेमंद हो सकता है और इस विकल्प को चुनने से उनकी सैलरी कितनी बढ़ने वाली है। तो चलिए एक-एक करके इन सभी सवालों का जवाब भी जान लेते हैं…
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जानें कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) क्या है?
कर्मचारी पेंशन योजना (Employees’ Pension Scheme) यानी ईपीएस (EPS) नवंबर 1995 में अस्तित्व में आया। इस पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को पेंशन देती है। जब ये स्कीम लागू किया गया तो उस समय कर्मचारी अपने बेसिक सैलरी (महंगाई और कुछ अन्य भत्तों के साथ) का 12 फीसदी हिस्सा EPFO में योगदान देता था। जिसके बदले रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को कुल जमा की गई राशि पर तगड़ा ब्याज के साथ एक मोटा रिटायरमेंट फंड मिलता था। लेकिन फिर कर्मचारी पेंशन स्कीम के नियमों में बदलाव किए गए। इस बदलाव के तहत कर्मचारी के संस्थान की तरफ से EPFO में किए जाने वाले 12 फीसदी के योगदान को 2 भाग 8.33% और 3.67% में बांट दिया गया।अब कर्मचारी के संस्थान की तरफ से बड़ा हिस्सा यानी 8.33% EPS में जाने लगा और 3.67% EPF में जमा होने लगा। इस डिडक्शन के लिए पेंशन योग्य आय की सीमा जो पहले 5000 थी उसे भी बढ़ाकर 6500 कर दिया गया। ये सीमा 1 सितंबर 2014 तक लागू रही।
EPFO ने Pension Scheme के नियमों में किया अहम बदलाव
अगस्त 2014 में EPFO ने EPS के नियमों में एक बार फिर बदलाव किया। जिसके बाद पेंशन योग्य आय की सीमा को 6,500 रुपये प्रति माह से बढ़ाकर 15,000 रुपये कर दिया गया। इसके साथ ही कर्मचारियों को यह विकल्प दिया गया कि वो अपनी वास्तविक बेसिक सैलरी के हिसाब से EPS में योगदान कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें अपने संस्थान में आवेदन करना होगा। वहीं, अगर कोई कर्मचारी इसके लिए आवेदन नहीं करता है तो उसकी बेसिक सैलरी से EPS में योगदान 15,000 रुपये की अधिकतम सीमा के हिसाब से ही किया जाएगा। इसे आसान शब्दों में समझें तो आपकी आय कितनी भी हो, पेंशन फंड में आपका योगदान 15,000 रुपये के 8.33% के हिसाब से ही किया जाएगा। अगर महीने के हिसाब से देखें तो आपको हर महीने अधिकतम 1,250 रुपये का योगदान करना होगा और बाकी राशि EPF में जमा हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन स्कीम को लेकर दिया ये आदेश
इस स्कीम के चुनाव के लिए साल 2014 में सभी कर्मचारियों को 6 महीने की समयसीमा दी गई थी। जिसे बाद में कुछ शर्तों के साथ 6 महीने के लिए आगे बढ़ा दिया गया। लेकिन फिर कई कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दिया कि 2014 में पेंशन स्कीम के किए बदलावों को समझने और स्कीम को चुनने के लिए जो समय दिया गया था वो पर्याप्त नहीं था। जानकारी के अभाव में कई कर्मचारी इसका फायदा नहीं उठा सके। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चार नवंबर, 2022 को अपने आदेश में कहा था कि ईपीएफओ को सभी एलिजिबल मेंबर को हायर पेंशन का ऑप्शन (Higher Pension Option) चुनने के लिए चार महीने का समय देना होगा।
EPFO ने ज्यादा पेंशन के लिए आवेदन की डेडलाइन बढ़ाई
कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए EPFO ने ज्यादा पेंशन के लिए आवेदन की तारीख चार महीने के लिए बढ़ा दी थी। यह चार महीने की अवधि तीन मार्च, 2023 को समाप्त हो रही है। इस वजह से ऐसी खबर आ रही थी कि इसकी अंतिम समयसीमा तीन मार्च, 2023 है। लेकिन हाल में एक बार फिर EPFO ने ज्यादा पेंशन पाने की स्कीम में आवेदन की तारीख बढ़ा दी है। जिसके बाद कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 (EPS 95) के अंतर्गत ईपीएफओ सब्सक्राइबर्स 3 मई, 2023 तक ज्यादा पेंशन पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
जानें Higher Pension Scheme से कैसी बढ़ेगी पेंशन
मान लीजिए आपकी बेसिक सैलरी 50,000 रुपये है. ऐसे में पुरानी पेंशन स्कीम के तहत आपकी पेंशन योग्य सैलरी 15,000 रुपये होगी। जिसका 8.33% यानी 1,250 रुपये पेंशन फंड में जमा होगा। वहीं, जब आप ज्यादा पेंशन का विकल्प चुनते हैं तो पेंशन फंड में उसका योगदान आपकी वास्तविक बेसिक सैलरी 50,000 के हिसाब से यानी करीब 4,165 रुपये होगा।
कर्मचारियों के लिए ज्यादा पेंशन का विकल्प कितना फायदेमंद?
ये स्कीम आपके लिए कितनी फायदेमंद है, आपको इसका चुनाव करना चाहिए या नहीं? ये समझने के लिए BQ PRIME ने ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर और सीईओ पंकज मठपाल से बातचीत की। उनका कहना है कि फिलहाल EPFO की तरफ से पेंशन के कैलकुलेशन पर कोई साफ जानकारी नहीं दी गई है। ऐसे में कर्मचारियों को इस स्कीम का विकल्प चुनते समय दो फैक्टर्स का खास ध्यान रखते हुए फैसला करना चाहिए। जिसमें पहला फैक्टर ये है कि अगर कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद एकमुश्त राशि ज्यादा चाहिए तो उनके लिए पेंशन की पुरानी स्कीम बेहतर हो सकती है। वहीं, दूसरा फैक्टर ये है कि अगर किसी कर्मचारी को हर महीने ज्यादा पेंशन की जरूरत है तो उनके लिए ज्यादा पेंशन स्कीम के लिए आवेदन करना फायदेमंद होगा।
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